पिछोर /-नागरिकों की खुशहाली के लिए मप्र सरकार द्वारा गठित राज्य आनंद संस्थान की एक दिवसीय पारिवारिक कार्यशाला शिवपुरी जिले की पिछोर तहसील में शा छत्रसाल महाविद्यालय में आयोजित की गई जिसमें चिंतन, मनन और एक प्रयास परिवर्तन की ओर कर खुद के अंदर झांकने का प्रयास प्रतिभागियों को कराया गया। इसमें परिवार के सदस्यों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। कार्यशाला का शुभारंभ प्रतिभागियों द्वारा मां सरस्वती जी के चित्र पर दीप प्रज्ज्वलन व प्रार्थना के साथ किया गया। तद्उपरांत प्रतिभागियों का परिचय सत्र आनंद सहयोगी अवध चौहान द्वारा कराया गया जिसमें पति ने पत्नी का और पत्नी ने पति का परिचय कराया।साथ ही राज्य आनंद संस्थान की मास्टर ट्रेनर टीम के परिचय के साथ संस्थान का परिचय वीडियो के माध्यम से दिखाया गया।
कार्यशाला के अगले सत्र में मास्टर ट्रेनर हितेंद्र बुधौलिया ने आनंद की ओर यात्रा से जोड़ कर आपके जीवन में आनंद क्या है का परिचय प्रतिभागियों से कराया जिसमें प्रतिभागियों द्वारा अपने जीवन के आनंद को सबके साथ साझा किया।
कार्यशाला के अगले सत्र में मास्टर ट्रेनर रंजना मालवीय ने जीवन के लेखा जोखा से प्रतिभागियों को अवगत कराकर लाईफ बैलेंस शीट तैयार कराई जिसमें प्रतिभागियों ने अपने जीवन के अनुभव शेयर किए।
कार्यशाला के अगले सत्र में मास्टर ट्रेनर सतीश शर्मा और कपिल रघुवंशी ने रिश्तों का मैप तैयार कर जीवन में उनकी आवश्यकता और कैसे अल्पविराम की शक्ति से अपने जीवन में दूर हुए रिश्तों को ठीक किया।
कार्यशाला के अगले सत्र में मास्टर ट्रेनर रिजवाना खान ने प्रतिभागियों को कनेक्शन, करेक्शन और डायरेक्शन से अवगत कराकर जीवन की कमियों को देखकर परिवर्तन करने के लिए प्रेरित किया।
उसके बाद मास्टर ट्रेनर साकेत पुरोहित ने सीसीडी के माध्यम से खुद में झांककर कैसे अपने जीवन में अपनी बुराइयों को दूर किया जा सकता है,यह मय प्रेक्टिकल के बताया।मास्टर ट्रेनर राजेश पटेल ने एक खेल के माध्यम से एकता की शक्ति का एहसास कराया।
कार्यक्रम में पधारे sdop प्रशांत शर्मा ने कहा कि आज के दौर में खुद से बात करने का समय ही नही मिल पाता जिसके कारण आदमी अवसाद में जा रहा है।आनंदम के अल्पविराम से जीवन मे आनंद आता है।प्रोफेसर अतुल गुप्ता ने भी अपने अनुभव सांझा किये।
कार्यशाला में परिवार के सदस्यों को एक-दूसरे के साथ संवाद करने, एक दूसरे को समझने, अपने विचारों को साझा करने और विभिन्न गतिविधियों में भाग लेने का अवसर मिला।
कार्यशाला में परिवार के सदस्यों के बीच संबंध मजबूत हुए और उन्होंने एक-दूसरे के साथ अधिक जुड़ाव महसूस किया।
कार्यक्रम के मध्यान्ह भाग में सभी ने स्वभोज का भी आनंद लिया।